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रासायनिक संघटन के आधार पर पदार्थ को मुख्यतः तीन प्रकार से वर्गीकृत किया जाता है।
- तत्व (Element) — शुद्ध पदार्थ
- यौगिक (Compound) — शुद्ध पदार्थ
- मिश्रण (Mixture) — अशुद्ध पदार्थ
Table of Contents
1. तत्व (Element)
वे पदार्थ जो एक ही प्रकार के परमाणु से मिलकर बने होते हैं, उन्हें तत्व कहते हैं।
तत्व के सूक्ष्मतम कणों को परमाणु कहते है।
अभी तक लगभग 118 तत्व खोजे जा चुके हैं जिसमें से लगभग 94 तत्व प्रकृति में पाये जाते हैं और बाकी लैब में बनाए गए हैं। ——— 118 तत्वों के नाम एवं परमाणु-संख्या एवं भार के लिए – Click Here
खोजा गया अंतिम प्राकृतिक तत्व फ्रांसियम है।

जीवित मानव शरीर में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला धातु —— कैल्शियम (Ca)
जीवित मानव शरीर में सबसे कम मात्रा में पाया जाने वाला तत्व / धातु —— मैंगनीज (Mn)
Note :- क्लोरोफिल के केन्द्रक में पाया जाने वाला तत्व —– मैग्नीशियम (Mg)
तत्व मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं।
1. धातु (Metals)
वैसे तत्व जो विद्युत तथा ऊष्मा के सुचालक होते हैं और ठोस अवस्था में आघातवर्धनीय एवं तन्य होते हैं , उन्हें धातु कहते हैं।
जैसे :- सोना , चाँदी , तांबा , लोहा , ऐलुमिनियम इत्यादि।
गुण :-
- इसके बाह्यतम कक्षा में 1 , 2 तथा 3 इलेक्ट्रॉन होते हैं। ये आसानी से इलेक्ट्रॉन त्याग करके धनायन बनाने की प्रवृत्ति रखते हैं।
- हाइड्रोजन के बाह्यतम कक्षा में एक इलेक्ट्रॉन होते हुए भी यह धातु नहीं बल्कि अधातु है।
- हइड्रोजन , क्षार धातुओं की तरह , एक इलेक्ट्रॉन खोकर धनायन (H+)बनाने की प्रवृत्ति रखता है। हालांकि , हाइड्रोजन अन्य क्षार धातुओं की तुलना में धनायन बनाने में कम इच्छुक होता है।
- हइड्रोजन की आयनन ऊर्जा 1312 KJ/mol होता है , जबकि लिथियम (सबसे कम आयनन ऊर्जा वाला क्षार धातु) का 520 KJ/mol होता है। यह अंतर दर्शाता है की हइड्रोजन को धनायन बनाना अधिक कठिन है।
- इनका आयनन विभव , विद्युत ऋणात्मकता तथा इलेक्ट्रॉन बंधुता तीनों ही बहुत कम होता है। इसीकारण ये आसानी से इलेक्ट्रॉन त्याग देते हैं।
- इनमें पाया जाने वाला धात्वीक चमक मुक्त इलेक्ट्रॉनों के कारण होता है।
- ये कमरे के ताप (27°C) पर ठोस अवस्था में होते हैं। अपवाद – पारा (द्रव अवस्था में होता है।)
- ये आघातवर्धनीय होते हैं अर्थात इनको पिटने पर ये टूटते नहीं हैं, जिससे इनको पीटकर चादर बनाया जा सकता है।
- ये तन्य होते हैं अर्थात इन्हें खींचकर तार बनाया जा सकता है।
- ये ऊष्मा तथा विद्युत के सुचालक होते हैं।
- अपवाद :- शीशा विद्युत का कुचालक होता है।
- इनका घनत्व उच्च होता है।
- इनका गलनांक बहुत अधिक होता है।
- इनका क्वथनांक बहुत अधिक होता है।
- ये ऑक्सीजन से क्रिया करके ऑक्साइड बनाते हैं । इसी कारण इन्हें वायु तथा जल के संपर्क में रखने पर ये संक्षारित (जंग लगना) होकर नष्ट होने लगते हैं।
- धातुओं के ऑक्साइड स्वाद में कड़वे होते हैं। अर्थात क्षारीय होते हैं।
- अपवाद :- एल्युमिनियम (Al) , लेड (Pb) और जिंक (Zn) के ऑक्साइड ( Al2O3 , ZnO , PbO2 ) उभयधर्मी होते हैं। इसका अर्थ है कि यह (एल्युमिनियम , लेड और जिंक का ऑक्साइड) अम्ल और क्षार दोनों के साथ अभिक्रिया कर सकता है और अभिक्रिया के फल स्वरूप लवण तथा जल बनता है।
- धातु अम्ल से क्रिया करके हाइड्रोजन गैस निकालता (मुक्त करता) है।
महत्वपूर्ण बिंदु :-
- द्रव अवस्था में पाया जाने वाला एकमात्र धातु → पारा
- इसे Quick Silver कहा जाता है।
- मनुष्य द्वारा सर्वप्रथम प्रयोग की जाने वाली धातु → तांबा
- मनुष्य द्वारा सर्वाधिक उपयोग की जाने वाली धातु → लोहा
- ढलवा लोहा, लोहा का सबसे अशुद्ध रूप होता है तथा इसमें कार्बन की मात्रा अधिक (लगभग 2 से 5%) होती है।
- पिटवा लोहा, लोहा का सबसे शुद्ध रूप होता है तथा इसमें कार्बन की मात्रा कम (लगभग 0.12 से 0.25%) होती है।
- मानव शरीर में सर्वाधिक मात्रा में पायी जाने वाली धातु → कैल्शियम (Ca)
- सबसे हल्की धातु → लिथियम
- सबसे भारी धातु → ऑस्मियम (Os)
- सबसे कठोर धातु → प्लेटिनम (Pt)
- मिट्टी के तेल में रखी जाने वाली धातु → Li , K , Na , सीजियम
- क्योंकि ये हवा में मौजूद ऑक्सीजन और नमी के साथ आसानी से प्रतिक्रिया कर लेते हैं और इनमें आग पकड़ लेती है। मिट्टी का तेल इन्हें हवा और नमी के संपर्क में आने से रोकता है।
- सोडियम :-
- सोडियम पानी में तैरती है तथा यह जल से क्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त करती है।
- सोडियम , बेंजीन तथा ईथर में विलेय(घुलनशील) होता है।
- सोडियम मुलायम होता है इसे चाकू से भी काटा जा सकता है। { वर्ग 1 के सभी तत्व (हाइड्रोजन को छोड़कर) चाकू से काटे जा सकते हैं → लिथियम (Li) , सोडियम (Na) , पोटैशियम (K) , रुबिडियम (Rb) ,सीजियम (Cs) , फ्रांसियम (Fr) }
- जिंक ऑक्साइड (ZnO) को आमतौर पर कैलेमाइन या फिलॉसफर्स वूल या यशद पुष्प कहते हैं।
- फास्फोरस (P4 ) → फास्फोरस दो प्रकार का होता है। —- (i) श्वेत /पीला फास्फोरस , (ii) लाल फास्फोरस
- (i) श्वेत /पीला फास्फोरस
- यह पीला रोशनी के साथ जलता है इसलिए इसे पीला फास्फोरस कहते हैं।
- यह 40℃ तापमान पर स्वतः जलने लगता है इसलिए इसे अस्थाई फास्फोरस कहते हैं।
- इसे पानी में डूबा कर रखा जाता है क्योंकि यह हवा के संपर्क में आने पर आसानी से आग पकड़ लेता है।
- इसकी गंध लहसुन के समान होती है।
- यह हड्डी में पाया जाता है।
- (ii) लाल फास्फोरस
- यह स्वतः नहीं जलता इसलिए इसे स्थाई फास्फोरस कहते हैं।
- यह गंधहीन होता है।
- इसका उपयोग माचिस की तिल्ली या बारूद बनाने में करते हैं।
- (i) श्वेत /पीला फास्फोरस
धातु में जंग लगना :-
1. चांदी (सिल्वर) :-
चांदी हवा में मौजूद सल्फर के साथ प्रतिक्रिया करके सिल्वर सल्फाइड (Ag2S ) बनाती है , जिससे चांदी का रंग काला हो जाता है।
2. लोहा (Fe) :-
लोहा जल के उपस्थिति में ऑक्सीजन से अभिक्रिया करके फेरिक ऑक्साइड ( Fe2O3 ) बनाता है। जिसे लोहे पर जंग लगना कहते है। लोहे पर जंग लगने से उसका भार बढ़ जाता है तथा आयु घट जाती है।

फेरिक ऑक्साइड ( Fe2O3 ) क्षारीय होता है।
लोहे पर जंग लगना रेडॉक्स अभिक्रिया है अगर अपसन में न हो तो ऑक्सीकरण अभिक्रिया है।
लोहे पर जंग लगना ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है।
लोहा गर्म और ठंडा जल की उपस्थिति में ऑक्सीजन से अभिक्रिया नहीं करता है।
लोहे को जंगरोधी बनाने के लिए क्रोमियम तथा कठोर बनाने के लिए कार्बन मिलाया जाता है।
लोहे को जंग से बचाने के लिए लोहे के ऊपर जिंक (जस्ता-Zn) का लेप चढ़ाते हैं। लेप चढ़ाने की प्रक्रिया को जस्तीकरण / गैल्वनीकरण / यशदलेपन / Galvanization (गैल्वनाइजेशन)
2. अधातु (Nonmetals)
वैसे तत्व जो विद्युत तथा ऊष्मा के कुचालक होते हैं और ठोस अवस्था में आघातवर्धनीय एवं तन्य नहीं होते हैं , उन्हें अधातु कहते हैं।
जैसे :- फॉस्फोरस , गंधक , ब्रोमीन , ऑक्सीजन इत्यादि।
Note :- सभी गैसें अधातु होती हैं।
गुण :-
- इसके बाह्यतम कक्षा में 5 , 6 तथा 7 इलेक्ट्रॉन होते हैं। ये आसानी से इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके ऋणायन बनाने की प्रवृत्ति रखते हैं।
- इनका आयनन विभव , विद्युत ऋणात्मकता तथा इलेक्ट्रॉन बंधुता तीनों ही बहुत अधिक होता है। जिस कारण ये इलेक्ट्रॉन त्यागते नहीं बल्कि ग्रहण करते हैं और ऋणायन बनाते हैं।
- ये ऊष्मा तथा विद्युत के कुचालक होते हैं।
- अपवाद :- ग्रेफाइट विद्युत का सुचालक होता है।
- इनमें किसी भी प्रकार का धात्वीक चमक नहीं होता है।
- ये आघातवर्धनीय नहीं होते हैं अर्थात इनको पिटने पर ये टूटकर चकनाचूर हो जाते हैं, जिससे इनको पीटकर चादर नहीं बनाया जा सकता है।
- ये तन्य नहीं होते हैं अर्थात इन्हें खींचकर तार नहीं बनाया जा सकता है।
- इनका घनत्व , गलनांक एवं क्वथनांक धातुओं की तुलना में कम होता है।
- अधातुओं के ऑक्साइड स्वाद में खट्टे होते हैं। अर्थात अम्लीय होते हैं।
महत्वपूर्ण बिंदु :-
- द्रव अवस्था में पाया जाने वाला एकमात्र अधातु :- ब्रोमीन
- अधातु प्रायः ठोस तथा गैसीय अवस्था में होते हैं। केवल ब्रोमीन द्रव अवस्था में होता है।
3. उपधातु (Metalloids)
वैसे तत्व , जिनमें धातु एवं अधातु दोनों के गुण पाये जाते हैं , उन्हें उपधातु कहते हैं।
इसकी संख्या 7 है।
जैसे :- बोरॉन , सिलिकॉन , जर्मेनियम , आर्सेनिक , ऐंटीमनी , टेल्यूरियम , पोलोनियम इत्यादि।
आवर्त (Period) | उपधातु का नाम | संकेत |
---|---|---|
1 | ||
2 | बोरॉन | B |
3 | सिलिकॉन | Si |
4 | जर्मेनियम , आर्सेनिक | Ge , As |
5 | ऐंटीमनी , टेल्यूरियम | Sb , Te |
6 | पोलोनियम | Po |
7 |
उपधातु आवर्त सारणी में धातु तथा अधातु को अलग करती है।
आवर्त सारणी में उपधातु जिस रेखा पर स्थित है उसे Border line कहते हैं क्योंकि यह धातु तथा अधातु के बीच का Border है।
गुण :-
- उपधातु विद्युत के आंशिक सुचालक होते हैं। अतः इन्हे अर्धचालक कहा जाता है।
- इनमें धारा का प्रवाह मुक्त इलेक्ट्रॉनों और कोटर/छिद्रों (Hole) दोनों के सहायता से होता है। ( धातुओं में धारा का प्रवाह मुक्त इलेक्ट्रॉनों के कारण होता है। )
- अर्धचालकों में, “छिद्र” एक अवधारणा है जो इलेक्ट्रॉनों की कमी को दर्शाती है। जब एक इलेक्ट्रॉन किसी सहसंयोजक बंधन से अलग हो जाता है, तो वह एक खाली स्थान छोड़ जाता है जिसे छिद्र कहा जाता है। यह छिद्र एक धनात्मक आवेश की तरह व्यवहार करता है और अर्धचालक में धारा के प्रवाह में योगदान करता है।
2. यौगिक (Compound)
जब दो या दो से अधिक तत्वों का एक निश्चित अनुपात में रासायनिक संयोग कराया जाता है, तो एक नया पदार्थ बनता है जिसे यौगिक कहते है। यौगिक का गुण मूल तत्वों / अवयवी तत्वों (जिन तत्वों से मिलकर वह बना है) से भिन्न होता है।
जल (H2O) एक यौगिक है जो हाइड्रोजन (H) और ऑक्सीजन (O) तत्वों से मिलकर बना है और जल का गुण हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से बिलकुल भिन्न होता है।
जैसे :-
- सोडियम क्लोराइड
- सोडियम क्लोराइड ठोस अवस्था में विद्युत का कुचालक होता है, लेकिन इसका जलीय विलयन विद्युत का सुचालक होता है।
यौगिक के सूक्ष्मतम कणों को अणु कहते है।

मानव शरीर में उपस्थित यौगिक का क्रम :- H2O (65 से 70%) > प्रोटीन > फैट > कार्बोहाइड्रेट
Note:-
- समअणु अथवा तत्व के अणु :- ऐसे अणु , जो समान प्रकार के परमाणुओं के संयोजन से बने होते है, समअणु कहलाते हैं। सभी तत्वों के अणु समअणु होते हैं। उदाहरण :- ऑक्सीजन (O2), हाइड्रोजन (H2), क्लोरीन (Cl2), आदि।
- विषम अणु अथवा यौगिक के अणु :- ऐसे अणु , जो दो या दो से अधिक तत्वों के परमाणुओं के संयोजन से निर्मित होते हैं विषम अणु कहलाते हैं। सभी यौगिक के अणु विषम अणु होते हैं। उदहारण :- जल (H2O : हाइड्रोजन +ऑक्सीजन), कार्बन डाइऑक्साइड (CO2 : कार्बन +ऑक्सीजन), आदि।
3. मिश्रण (Mixture)
मिश्रण Part – 3 में मिलेगा ———- Click Here