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छोटी-छोटी मगर मोटी बातें : पदार्थ, पदार्थ की अवस्थाएँ, प्रत्यास्थता, संपीड्यता, दृढ़ता और भौतिक परिवर्तन एवं रासायनिक परिवर्तन।{CheL1ThaP1}

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रसायन विज्ञान का जन्म मिस्र में हुआ था।

रसायनशास्त्र शब्द की उत्पति कीमिया शब्द से हुई है, जो मिस्र में पायी जाने वाली मिट्टी कैमी(Chemi) से आया है। Chemi का शाब्दिक अर्थ “काला” या “पृथ्वी” होता है

रसायन विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अंतर्गत पदार्थों की रासायनिक संरचना , संघटन , गुणधर्मों तथा परस्पर रासायनिक अभिक्रियाओं और उनके परिणामों का अध्ययन किया जाता है।

18वी शताब्दी के फ्रांसीसी रसायनशास्त्री एंटोनी लेवोजियर को आधुनिक रसायन विज्ञान का जनक माना जाता है।

  1. भौतिक रसायन (Physical Chemistry) :- इसके अंतर्गत अणुओं के भौतिक गुणों तथा भौतिक संरचना पर उनकी रासायनिक संरचना के प्रभावों का अध्ययन किया जाता है।
    • इसके अतिरिक्त , इस शाखा में रासायनिक अभिक्रिया की दर , प्रकाश के रासायनिक प्रभावों आदि का भी अध्ययन किया जाता है।
  2. कार्बनिक रसायन (Organic Chemistry) :- इसके अंतर्गत कार्बन एवं हाइड्रोजन से युक्त रासायनिक यौगिकों अथवा उनके आपसी या अन्य तत्वों से क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।
    • उदाहरण :- ईंधन , प्लास्टिक , खाद्य योजक , प्रकाश संश्लेषण क्रिया आदि।
  3. अकार्बनिक रसायन (Inorganic Chemistry) :- इसके अंतर्गत सभी अकार्बनिक और गैर – हाइड्रोकार्बनिक यौगिकों तथा निर्जीव पदार्थों का अध्ययन किया जाता है।
    • उदाहरण :- धातु , खनिज , शैल , रेडियोसक्रिय तत्व आदि।

वह वस्तु जो स्थान घेरती है तथा जिसमें भार होता है और जिसे इन्द्रियों द्वारा अनुभव किया जा सकता है, उसे पदार्थ (Substance / Matter) कहते है।

जैसे :- हवा , पानी , गैस , लकड़ी , लोहा इत्यादि।

पदार्थ की अवस्थाएँ (State of Matter)
  1. ठोस :- इसका आयतन तथा आकार दोनों निश्चित होता है।
    • जैसे :- पत्थर , कोयला , लकड़ी , ईंट इत्यादि।
  2. द्रव :- इसका आयतन निश्चित लेकिन आकार परिवर्तनशील होता है अर्थात इसे जिस पात्र में रखा जाता है उस पात्र का आकार ग्रहण कर लेता है।
    • जैसे :- पानी , दूध , तेल, घी इत्यादि।
  3. गैस :- इसका आयतन तथा आकार दोनों परिवर्तनशील होता है।
    • जैसे :- कोल गैस, मार्श गैस (मीथेन गैस), हवा, भाप इत्यादि।
  4. प्लाज्मा :- यह गैस के अत्यधिक गर्म होने से बनती है। इसमें गैस के परमाणु इलेक्ट्रॉन का त्याग करके आयनित हो जाते हैं और इलेक्ट्रॉन अलग होकर मुक्त हो जाते हैं
    • प्लाज्मा में मुक्त इलेक्ट्रॉन और धनात्मक आयन होते हैं, जो इसे विद्युत का सुचालक बनाते हैं।
    • प्लाज्मा का कोई निश्चित आकार या निश्चित आयतन नहीं होता है।
    • यह पदार्थ की चौथी अवस्था है।
    • प्लाज्मा की पहचान सर विलियम क्रुक्स द्वारा 1879 में की गई थी। उन्होंने इसे “चमकते पदार्थ” का नाम दिया था। लेकिन प्लाज्मा नाम इरविंग लैंगमुइर ने दिया था।
    • ज्वाला (जब उच्च तापमान पर हो), बिजली, फ्लोरोसेंट लैंप, सूर्य और तारे सभी प्लाज्मा से बने हैं।
    • पृथ्वी पर प्लाज्मा वायुमंडल के ऊपरी क्षेत्रों जैसे आयनमंडल और चुम्बकीयमंडल में पाया जाता है।
  5. बोस-आइंस्टीन-कंडेनसेट :- यह तब बनती है जब बोसॉन नामक कणों को परम शून्य ताप (-273.15 डिग्री सेल्सियस) के करीब ठंडा किया जाता है।
    • यह पदार्थ की पांचवी अवस्था है।
    • 20वीं सदी की शुरुआत में, भारतीय भौतिक विज्ञानी और गणितज्ञ सत्येंद्र नाथ बोस ने प्रकाश और तापमान के बीच संबंधों पर सांख्यिकी की पुनर्व्याख्या की। अल्बर्ट आइंस्टीन के द्वारा जांच करने पर, बोस की नई व्याख्या को बोस-आइंस्टीन-कंडेनसेट के रूप में जाना गया।
  1. गतिज ऊर्जा :- गैस > द्रव > ठोस
  2. घनत्व :- ठोस > द्रव > गैस
  3. अंतर आण्विक आकर्षण बल :- ठोस > द्रव > गैस
  4. अंतर आण्विक स्थान :- गैस > द्रव > ठोस
  5. प्रत्यास्थता (पूर्व स्थिति में वापस आने की क्षमता) :- ठोस > द्रव > गैस
  6. ससंजक बल :- ठोस > द्रव > गैस
  7. विसरण :- गैस > द्रव > ठोस
  8. संपीड्यता (आयतन में परिवर्तन का विरोध नहीं करना ) :- गैस > द्रव > ठोस
  9. दृढ़ता (अपने ऊपर होने वाले प्रहार का विरोध करना) :- ठोस > द्रव > गैस

जब किसी वस्तु पर बाह्य बल आरोपित किया जाता है, तो वस्तु के आकार , आकृति तथा संरचना में परिवर्तन होता है लेकिन यदि बाह्य बल हटाने पर वस्तु अपनी पूर्व स्थिति में आ जाती है, तो वस्तुओं के इस गुण को प्रत्यास्थता कहते हैं तथा ऐसी वस्तुओ को प्रत्यास्थ वस्तु कहते है।

ठोस, द्रव एवं गैस में सबसे अधिक प्रत्यास्थ (elastic) ठोस तथा सबसे कम प्रत्यास्थ गैस होता है। —- ठोस > द्रव > गैस

पदार्थ का वह गुण, जिसके कारण दबाव डालने पर उसका आयतन कम हो जाता है, उसे संपीड्यता कहते है।

गैसों में संपीड्यता सबसे अधिक होती है, क्योंकि उनके कणों के बीच बहुत अधिक खाली जगह होती है। तरल पदार्थों में संपीड्यता कम होती है और ठोस पदार्थों में सबसे कम होती है। —– गैस > द्रव > ठोस

पदार्थ का वह गुण जिसके कारण वह अपने ऊपर होने वाले प्रहार का विरोध करता है , दृढ़ता कहलाता है।

पदार्थ के कणों के बीच का स्थान जितना कम होगा वह पदार्थ उतना ही अधिक दृढ़ होगा।

ठोस पदार्थों की दृढ़ता सबसे अधिक होती है। द्रव की उससे कम और गैस की दृढ़ता सबसे कम होती है। —– ठोस > द्रव > गैस

पदार्थों में दो प्रकार का परिवर्तन होता है।

  1. भौतिक परिवर्तन
  2. रासायनिक परिवर्तन

यह उत्क्रमणीय प्रक्रिया है। इसमें पदार्थ के भौतिक गुणों में परिवर्तन आता है परंतु रासायनिक गुण समान होता है।

यह एक अस्थायी परिवर्तन है। इस परिवर्तन में कोई भी पदार्थ परिवर्तित होने के बाद पुनः अपनी पूर्व अवस्था में आ सकता है।

यह अनुत्क्रमणीय प्रक्रिया है। इसमें नये पदार्थ का निर्माण होता है, जो अपने मुल पदार्थ के रासायनिक और भौतिक गुण से भिन्न होता है।

यह स्थायी परिवर्तन है इस परिवर्तन में कोई भी पदार्थ परिवर्तित होने के बाद पुनः अपनी पूर्व अवस्था में नहीं आ सकता है।

क्र. सं. भौतिक परिवर्तन रासायनिक परिवर्तन
1.CO2 से ठोस कार्बन डाइऑक्साइड / शुष्क बर्फ (Dry Ice) बननामक्खन का खट्टा होना
2.मोमबत्ती का पिघलना मोमबत्ती का जलना
3.पानी से बर्फ का बनना अगरबत्ती का जलना
4.पानी का वाष्प बनना खाने का पचना
5.चीनी या नमक का पानी में मिश्रणलकड़ी का जलना (ईंधन जलना)
6.शुष्क बर्फ का सब्लिमेशन (ऊर्ध्वपातन) / शुष्क बर्फ का कार्बन डाइऑक्साइड गैस में बदलना लोहे पर जंग लगना (लोहे का ऑक्सीकरण)
7.रेत का पानी में विलयन दुध से दही का बनना
8.अम्लीकृत जल का वैधुत अपघटन कम्प्यूटर का जलना
9.लोहे का चुंबकीयकरण / लोहे का चुम्बक बनना सोडियम को पानी में डालना
10.तांबा को खींचकर उससे पतला तार बनाना प्लैटिनम तार का जलना
11.कागज के टुकड़े को फाड़ना पदार्थो का किण्वन
12.बर्फ का पिघलना द्रवित पेट्रोलियम गैस का दहन
13.फास्फोरस को कैरोसिन तेल में डालना

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